1 फरवरी 2025 शनिवार को देश का आम बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश किया। बजेट पेश हुए कुछ ही दिन बीते हैं, और हमारी अर्थव्यवस्था की हालत नाज़ुक होती जा रही है। बजेट के बाद जब सोमवार को मार्केट खुला तो, भारतीय रुपया अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया और शेयर बाज़ार में भी भारी गिरावट देखने को मिली। क्या ये बजट का असर है, या फिर कोई और बड़ी वजह? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में।
आपको बता दें कि, 3 फरवरी को भारतीय रुपये ने एक नया रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ. एक डॉलर के मुकाबले रुपया 87.29 रुपये पर पहुँच गया, जो कि 67 पैसे की भारी गिरावट है. बजेट के बाद सिर्फ रुपया ही नहीं, बल्की शेयर बाज़ार में भी भूचाल आया। BSE Sensex में 700 से ज़्यादा अंकों की गिरावट दर्ज की गई है, तो NSE Nifty भी 250 अंक नीचे लुढ़का है।
लेकिन ये अचानक हुआ क्यों? अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसके पीछे कई वजहें हैं। उनके अनुसार सबसे बड़ी वजह अमेरिका के राष्ट्रपति का एक फैसला है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामान पर भारी टैक्स लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले से दुनिया भर में ट्रेड वॉर यानी व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है और इसका सीधा असर भारतीय रुपये पर पड़ रहा है।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूदा तनाव भी भारतीय रुपये की कमजोरी का एक और बड़ा कारण बन रहा है। इसके अलावा विदेशी निवेशक लगातार भारतीय बाज़ार से अपना पैसा निकाल रहे हैं, जिससे रुपये की कीमत और गिर रही है। रुपए के गिरने की एक और वजह तेल की बढ़ती कीमतें भी हैं। भारत में तेल की खपत बहुत ज़्यादा है, और कीमतें बढ़ने से देश का व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
तो क्या इसका मतलब है कि हमारी अर्थव्यवस्था खतरे में है? हाल फिलहाल ये कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन, अगर सरकार ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। हमें ध्यान रखना होगा कि इस मुश्किल वक्त में आम आदमी का हित सबसे ऊपर रहे।
फिलहाल, सभी की नजर बाज़ार की स्थिति पर बनी हुई है। आगे देखना होगा कि सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है। क्या वो रुपये को सहारा दे पाएगी, या फिर हमें और बुरे दिन देखने को मिलेंगे?
इस खबर पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं.