evm-votes-discrepancy-on-538-seats-votes-polled-and-votes-counted-adr-report538 लोकसभा सीटों पर मतगणना में बड़ी गड़बड़ी: ADR संस्था के दावे से उठे सवाल

538 लोकसभा सीटों पर मतगणना में बड़ी गड़बड़ी: ADR संस्था के दावे से उठे सवाल

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स जिसे ADR के नाम से भी जाना जाता है। जो लोकतांत्रिक और चुनावी अधिकारों के लिए काम करने वाली एक संस्था है। हाल ही में इस एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) संस्था ने यहा दावा किया है कि, पिछले लोकसभा चुनाव में डाले गए मतों और गिने गए मतों के बीच बड़ी गड़बड़ी पाई गई हैं। 29 जुलाई को ADR द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ADR के प्रमुख और फाउंडर जगदीप छोकर ने बताया कि यह अनियमितताएं कुल 538 लोकसभा सीटों पर पाई गई हैं, जिससे चुनाव की सत्यता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने रिपोर्ट में क्या है

ADR की रिपोर्ट के अनुसार, 362 सीटों पर डाले गए मतों की तुलना में 5,54,598 वोट कम गिने गए, जबकि 176 सीटों पर 35,093 वोट अधिक गिने गए। इस तरह की अनियमितताओं ने मतदाताओं के मन में गहरा संदेह उत्पन्न कर दिया है। ADR की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चुनाव आयोग ने मतगणना के अंतिम और प्रामाणिक डेटा को जारी करने से पहले ही चुनाव परिणाम घोषित कर दिए थे।

अनियमितताओं की संभावित प्रभाव

हालांकि, ADR ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मतों में इस अंतर से कितनी सीटों पर चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते थे। फिर भी, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अमरेली, अत्तिंगल, लक्षद्वीप, दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव को छोड़कर, कुल 538 संसदीय सीटों पर 5,89,691 मतों की विसंगति पाई गई। इसके अलावा, सूरत संसदीय सीट पर कोई मुकाबला नहीं था, इसलिए वहां की गड़बड़ियों का डेटा रिपोर्ट में शामिल नहीं है।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया का इंतजार

ADR के इन दावों पर चुनाव आयोग की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। रिपोर्ट में चुनाव आयोग पर यह भी आरोप लगाया गया है कि आयोग ने EVM में डाले गए और गिने गए मतों में अंतर, मत प्रतिशत में वृद्धि, और डाले गए मतों के आंकड़े जारी करने में अनुचित देरी के मुद्दों पर कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया है।

आपको बता दें कि, ADR की इस रिपोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यही नहीं स्वतंत्र पत्रकार पूनम अग्रवाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया कि डाले गए मतों और गिने गए मतों के आंकड़ों के विश्लेषण में उन्हें भी यही परिणाम मिले।

इस स्थिति में, चुनाव आयोग की ओर से जल्द ही स्पष्टता और पारदर्शिता की अपेक्षा की जा रही है ताकि मतदाताओं के मन में उत्पन्न संदेह को दूर किया जा सके और लोकतंत्र में विश्वास बहाल हो सके।

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