वायनाड भूस्खलन त्रासदी: केरल का वायनाड जिला अभी भी उस भीषण त्रासदी से उबरने की कोशिश कर रहा है जो 29-30 जुलाई की रात को हुई थी। जब प्रकृति का प्रकोप इतना भयानक रूप ले ले कि सैकड़ों जिंदगियां एक पल में ही खत्म जाए तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं। वायनाड में हुए भूस्खलन ने न केवल एक इलाके को तबाह किया बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
केरल के वायनाड जिले में हुए भूस्खलन से जब सभी उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी थीं, तब सेना ने एक बार फिर जीवन की किरण जगाई है। वायनाड भूस्खलन से 4 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मलबे से 4 लोगों को जिंदा निकाला गया है। इस घटना ने न केवल बचाव दल का हौसला बढ़ाया बल्कि पूरे देश को भी भावुक कर दिया है। यह ऑपरेशन वायनाड के पदावेट्टी कुन्नू क्षेत्र में सफलता पूर्वक सेना द्वारा पूरा किया गया। हालांकि, इस खुशी के साथ ही गम भी है। इस हादसे के 4 दिन बाद इस वायनाड भूस्खलन में 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं।
जानकारी के अनुसार, सेना द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन में पूरी सावधानी बरती जा रही है। कहा जा रहा है कि, एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) का इस्तेमाल करते हुए मलबे में फंसे लोगों तक पहुंचा गया और चार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इन चारों में दो महिला और दो पुरुष शामिल हैं। हालांकि, बचाई गई एक महिला के पैर में चोट आई थी, जिसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन को कारगर बनाने के लिए क्षेत्र को छह हिस्सों में बांटा गया है
आपको बता दें कि, वायनाड में लगभग 40 टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं, जिसमें थल सेना, नेवी और एयरफोर्स के कर्मचारी शामिल हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन को कारगर बनाने के लिए सर्च क्षेत्र को छह हिस्सों में बांटा गया है:
- अट्टामाला और आरणमाला
- मुंडकई
- पुंजरीमट्टम
- वेल्लरमाला विलेज रोड
- जीवीएचएसएस वेल्लरमाला
- नदी के बहाव वाला क्षेत्र
वायनाड भूस्खलन से लापता लोगों को खोजने के लिए सेना ने मोबाइल लोकेशन का भी सहारा लिया है। जिन इलाकों में मोबाइल सिग्नल मिल रहे थे, वहां मलबे को खोदकर लोगों की तलाश की गई। हालाकि कुछ इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन को बंद कर दिया गया है और अब वहां शवों की तलाश की जा रही है।
एक सवाल जो मन में उठता है
वायनाड भूस्खलन जैसे हादसे हमें प्रकृति की शक्ति और उसके सामने मनुष्य की बेबसता को याद दिलाता हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हमने प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश की है? क्या हमने विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है? इन सवालों के जवाब ढूंढने की जरूरत है।