अखिलेश यादव, Waqf Board, नई दिल्ली: जैसा कि आप सब जानते है कि, सरकार ने वक्फ बोर्ड को लेकर संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल 2024 पेश किया है। इस बिल के पेश होते ही गुरुवार को संसद के मॉनसून सत्र में खासा गर्म माहौल पैदा कर दिया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज के सांसद अखिलेश यादव ने इस बिल विधेयक पर तीखे सवाल उठाते हुए इसे बीजेपी की तुष्टिकरण नीति का हिस्सा करार दिया। अखिलेश ने इस बिल को धार्मिक आस्थाओं पर हमला बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है। उनके इस बयान पर गृहमंत्री अमित शाह ने कड़ी आपत्ति जताई, जिससे संसद का माहौल और गरमा गया।
अखिलेश यादव का जोरदार हमला
लोकसभा में Wakf Board Amendment Bill पर चर्चा के दौरान, अखिलेश यादव ने कहा कि,
“यह बिल गहरे राजनीतिक उद्देश्यों के तहत लाया गया है।”
उन्होंने आगे सरकार पर आरोप लगाया कि,
भाजपा इस बिल के माध्यम से अपने कट्टर समर्थकों को खुश करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा,
“यह बिल सिर्फ एक राजनीतिक खेल है। जिलाधिकारियों को वक्फ संपत्तियों पर अतिरिक्त शक्तियां देने से भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”
अखिलेश यादव ने लोकसभा स्पीकर के अधिकारों को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“महोदय, मैंने सुना है कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं। इसलिए हमें आपके अधिकारों की रक्षा के लिए भी लड़ना पड़ेगा।”
अमित शाह की तीखी प्रतिक्रिया
जैसे ही अखिलेश यादव ने ऐसा कहा, अमित शाह बिफर पड़े और अखिलेश यादव के इन बयानों से नाराज हो कर अमित शाह ने बीच में ही उन्हें टोकते हुए कहा कि,
“अखिलेश जी, गोलमोल बातें न करें। आप सदन के आसन का अपमान कर रहे हैं।” शाह ने जोर देकर कहा कि अखिलेश यादव अध्यक्ष के अधिकारों के संरक्षक नहीं हैं और उन्होंने सदन में अनुशासन बनाए रखने की अपील की।
विपक्ष और सरकार में बढ़ती दूरी
विपक्षी दलों ने Wakf Board Amendment Bill का कड़ा विरोध किया और इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस, नैशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके और कांग्रेस ने भी सपा के साथ मिलकर इस बिल का विरोध किया। वहीं, एनडीए की सहयोगी जेडीयू ने इस विधेयक का समर्थन किया, जिससे विपक्ष और सरकार के बीच की खाई और गहरी हो गई।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर सरकार की दलील
सरकार की ओर से कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर कहा कि, वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से इस बिल को पेश किया। उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्तियों की देखरेख में सुधार लाने के लिए यह संशोधन आवश्यक है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस बिल का मकसद सिर्फ प्रशासनिक सुधार करना है, न कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना।
आगे का रास्ता
संसद में विपक्ष के विरोध और सरकार के बचाव के बीच, वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, आने वाले दिनों में यह बिल किस दिशा में जाता है और क्या सरकार विपक्ष को समझा पाने में कामयाब होती है, या फिर संसद में टकराव का यह सिलसिला आगे और भी जारी रहेगा।