कौन था अफजल खान: छत्रपति शिवाजी द्वारा इस्तेमाल किया गया ‘वाघनख’ ब्रिटेन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम से 17 जुलाई को महाराष्ट्र लाया गया है और अब इसे सतारा में छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है। सरकार का कहना है कि, यह वाघनख विभिन्न संग्रहालयों में प्रदर्शनी के लिए घूमेगा। आपको बता दें कि, ‘वाघनख’ का शाब्दिक अर्थ है ‘बाघ का पंजा’, जो एक खंजर जैसा बहुत ही शानदार हथियार होता है ऐसा कहा जाता है कि, यह हथियार मध्यकाल में भारत और उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों में काफी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था।
इतिहासकारों के अनुसार, वाघनख को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि यह हाथ के पंजे में आसानी से फिट हो सकें और हथेली के नीचे छिपाया जा सके। इसमें चार-पांच नुकीले ब्लेड बने होते हैं और यह एक दस्ताने जैसी पट्टी से जुड़ा होता है। वाघनख इतना खतरनाक होता था कि एक ही झटके में इससे किसी की भी जान बहुत ही आसानी से ली जा सकती थी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी हथियार से अफजल खान को मौत के घाट उतारा था।
अफजल खान कौन था? (Afzal Khan kaun tha)
अफजल खान, जिसका असली नाम अब्दुल्ला भटारी था, ये बीजापुर के नवाब आदिल शाह और बड़ी रानी का प्रमुख सेनापति था। अफजल खान को आदिल शाह और बड़ी रानी का दाहिना हाथ भी कहा जाता था। 1656 में जब बीजापुर पर औरंगजेब की सेना ने हमला किया, तो अफजल खान को इसका मुकाबला करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसे इसने बहुत ही वफादारी से निभाई थी। उसने कई लड़ाइयों में जीत हासिल की थी। जदुनाथ सरकार की पुस्तक ‘शिवाजी एंड हिज टाइम्स’ के अनुसार, जब नवाब मोहम्मद आदिल शाह की मृत्यु के बाद जब बीजापुर की गद्दी के लिए लड़ाई शुरु हुई थी तो बड़ी रानी के कहने पर उसने पूरे विरोधियों को समाप्त कर दिया था। गद्दी के संघर्ष में बड़ी रानी के कहने पर अफजल खान ने बड़ी भूमिका निभाई और तीन जनरलों को मार डाला। इससे पहले भी, उसने बड़ी रानी के कहने पर सिरा के राजा कस्तूरी रंगा को शांति समझौते के बहाने मार चुका था।
शिवाजी और अफजल खान की दुश्मनी
छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान की दुश्मनी काफी पुरानी मानी जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि, शिवाजी महाराज के पिता शाहजी राजे भोंसले से यह दुश्मनी शुरू होती है, जो बीजापुर सल्तनत के लिए काम किया करते थे। इतिहास बताता है कि, जब शाहजी राजे और अफजल खान के बीच अनबन हुई थी तब, शिवाजी महाराज के पिता शाहजी राजे को जंजीरों में बांधकर बीजापुर लाया गया था। इसके अलावा 1654 में जब शिवाजी महाराज के बड़े भाई की हत्या हुई थी तब, शिवाजी महाराज के बड़े भाई संभाजी की हत्या में भी अफजल खान का हाथ था।
जब छत्रपति शिवाजी महाराज गद्दी पर बैठे, तो उनकी गतिविधियों से बीजापुर की बड़ी बेगम चिंतित हो गईं और अफजल खान को शिवाजी को पकड़ने का कार्य सौंपा। डेनिस किनकेड की पुस्तक ‘शिवाजी: द ग्रैंड रेबेल’ के अनुसार, अफजल खान ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया कि वह शिवाजी को पिंजरे में बांधकर बीजापुर लाएगा। लेकीन इस वह खुद ही इस लड़ाई में शिवाजी महाराज के हाथो मारा गया। शिवाजी महाराज ने अफजल खान को कैसे मारा इसका इतिहास बहुत ही शानदार है।
वाघनख का लंदन पहुंचना
छत्रपति शिवाजी का वाघनख ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ के माध्यम से लंदन पहुंचा। डफ, सतारा जिले में कंपनी एजेंट थे। वाघनख डफ के पास कैसे आया, इसके बारे में ठोस जानकारी नहीं है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मराठों के अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय ने 1818 में तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में हार के बाद आत्मसमर्पण किया और संभवतः उसी समय वाघनख डफ को सौंप दिया। अन्य जगहों पर यह दावा मिलता है कि वाघनख खुद पेशवा प्रधानमंत्री ने डफ को दिया था। जब जेम्स ग्रांट डफ स्कॉटलैंड लौटे, तो वाघनख उनके साथ गया। बाद में डफ के परिवार ने इसे लंदन के म्यूजियम को गिफ्ट कर दिया।
इस प्रकार, छत्रपति शिवाजी का वाघनख महाराष्ट्र वापस लाया गया है, जहां इसे विभिन्न संग्रहालयों में प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे यह ऐतिहासिक धरोहर जनता के सामने आ सकेगी।