mumbai-ko-mayanagri-ke-naam-se-kyun-jana-jata-haiमुंबई को मायानगरी क्यों कहा जाता है? जाने कैसे भगवान शिव के वरदान से राक्षस ने इसे मायानगरी बनाया 

मुंबई को मायानगरी क्यों कहा जाता है: भारत में कई सारे शहर है, लेकीन मुंबई जैसा कोई नहीं। भारत की सबसे आकर्षक नगरी, मुंबई, जिसे मायानगरी के नाम से भी जाना जाता है, यह सपनों का शहर है। भारत की यह एक ऐसी जगह है जहाँ इंसान एक बार पहुँच जाए तो वहां से कभी लौटना ही नहीं चाहता। लेकिन ऐसा क्या है जो लोगों को मुंबई की ओर खींचता है और मुंबई में रोक कर रखता है? इसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है, लेकिन कुछ तो ऐसा है इस मायानगरी में जिसके चलते दुनियां भर से लोग यहाँ आते हैं और यहीं के हो जाते हैं। आखिर क्यों मुंबई को मायानगरी कहा जाता है। आज के इस लेख में हम इसी मुंबई के मायानगरी बनने की कहानी के बारे में जानेंगे और जानेंगे कि, कैसे भगवान शिव के वरदान से राक्षस ने इसे मायानगरी बनाया

मुंबई को मायानगरी क्यों कहा जाता है? इसके पिछे है मायानगरी की एक पौराणिक कथा

मुंबई को मायानगरी क्यों कहा जाता है? इसको लेकर एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित हैं जो कुछ इस प्रकार की है।

कथा के अनुसार, कहा जाता है कि, महाराष्ट्र की मुंबई एक समय में राक्षसों की नगरी हुआ करती थी। इस नगरी का संचालन प्राचीन काल में एक राक्षस द्वारा किया जाता था। कहा जाता है कि, प्राचीन काल में इस नगरी का राक्षस महाशक्तिशाली था और पूरी तरह से भोग, विलास, और वासना में डूबा रहता था। फिर एक समय बाद एक बार उसके इस नगरी से एक सुंदर राजकुमारी गुजर रही थी। उस सुंदर राजकुमारी का सुंदर रूप देख कर इस नगरी का राजा राक्षस काफी मोहित हुआ और उसके प्यार में पड़ गया। उसने अपने महल के सेवादारों के पास प्यार का पैगाम भेजा। लेकीन राजकुमारी ने उस राक्षस का प्यार का पैगाम ठुकरा दिया। जिसके बाद गुस्से में आकर उस राक्षस ने राजकुमारी का हरण कर अपने महल में बंदी बना लिया और उस पर शादी का दबाव डाला। लेकीन राजकुमारी फिर भी नही मानी।

क्युकी राजकुमारी को उस राक्षस से कोई लगाव नहीं था। राजकुमारी अपने घर जाने की जिद पर अड़ी रही और उसने खाना-पीना तक छोड़ दिया।

राजकुमारी द्वारा खाना पीना छोड़ने से माया नगरी का राक्षस काफी परेशान हुआ , उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। राजकुमारी द्वारा खाना पीना छोड़ देने से वह दिन प्रति दिन कमजोर पड़ती जा रही थी। जिससे राक्षस और भी परेशान होने लगा। उसने प्यार से खूब मनाने की कोशिश की, लेकीन राजकुमारी नही मानी और घर वापस जाने की जिद पर अड़ी रही। राक्षस उसकी जिद के सामने बेबस हुआ, क्युकी उसकी जिद राक्षस पूरी नहीं कर सकता था। क्युकी वह अपने प्रेम के कारण बहुत मजबूर था।

ऐसा करते करते उस राजकुमारी ने एक दिन अपने प्राण त्याग दिए। राजकुमारी के मरने से राक्षस दुखी होकर शंकर भगवान का कठोर तप करने लगा, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उसे वरदान मांगने को कहा।

फिर राक्षस ने भगवान शिव से अपनी नगरी को मायानगरी में बदलने का वरदान माँगा ताकि यहाँ जो भी एक बार आए, वह लौटकर वापस न जाए और भोग-विलास में अपना जीवन यही बिताए। भगवान शंकर ने यह वरदान दिया और तब से मुंबई मायानगरी में बदल गई। और तब से मुंबई को मायानगरी के नाम से जाना जाने लगा। यहाँ आने वाला हर इंसान मायानगरी के भोग-विलास और वासना से भरपूर जीवन को सहजता से स्वीकार करता गया।

एक और वजह है जिसके चलते मुंबई को मायानगरी कहा जाता है 

कोरा पर मिले जानकारी के आधार, मुंबई को धन की देवी ‘लक्ष्मी’ का मायका कहा गया है। पुराणों के अनुसार देवी लक्ष्मी, ‘समुद्र’ की बेटी है। यही वजह है कि समुंदर किनारे बसे शहरों में अथाह संपत्ति, धन, एश्वर्य और संपदा हमेशा से बनी रही है। अब चूंकि हमारे यहां धन को ‘माया’ भी कहा गया है, यही वजह है जिसके चलते मुंबई को ‘मायानगरी’ भी कहा जाता है। मुंबई भारत की सबसे धनाढ्य नगरी है। यहां देश के सबसे ज्यादा दौलतमंद लोग रहते हैं जबकि यह दुनिया का सातवा ऐसा शहर है, जहां सबसे रईस लोग रहते हैं।

मायानगरी का आज का आकर्षण

आज भी, जो एक बार मुंबई आता है, वह लौटकर वापस नहीं जाना चाहता। मुंबई मायानगरी का मोह, यहाँ की माया उसे बांधकर रखती है। मुंबई का जीवन अद्वितीय है और यहाँ की चमक-दमक, फिल्म इंडस्ट्री, बड़े-बड़े अवसर, और यहां की जीवनशैली सभी को अपनी ओर खींचते हैं।

मुंबई में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है – चाहे वह फिल्मी सितारों का ग्लैमर हो, फैशन इंडस्ट्री की चकाचौंध हो, या फिर आम आदमी के संघर्ष की कहानी हो। यह शहर हर किसी को अपने रंग में रंग लेता है। यहाँ की रफ्तार, यहाँ की माया, यहाँ का मोह सब कुछ अपने आप में खास है।

मायानगरी मुंबई का जीवन

आपको बता दें कि, मुंबई में दिन-रात की कोई सीमा नहीं है। यहाँ की गलियाँ हमेशा जगमगाती रहती हैं और यहाँ के लोग हमेशा अपने सपनों को साकार करने की दौड़ते रहते हैं। यह शहर अपने आप में एक जीवित उदाहरण है कि सपने सच होते हैं, अगर आप मेहनत और लगन से काम करें तो।

मायानगरी मुंबई के समुद्र तट, यहाँ की लोकल ट्रेनें, चौपाटी पर घूमते लोग, और यहाँ की विविधता इसे भारत का एक अद्वितीय शहर बनाते हैं। मुंबई सिर्फ एक शहर नहीं है, यह एक एहसास है, यह एक सपना है जिसे जीने के लिए लोग यहाँ खिंचे चले आते हैं। क्युकी मायानगरी मुंबई आम आदमी से लेकर खास आदमी तक, सभी को आगे बढ़ने का मौका देती हैं। यहां समंदर की तरह पैसा है। जो कभी खाली नहीं होता है।

अंत में,

मुंबई मायानगरी का आकर्षण, उसकी माया, उसका मोह, आज भी लोगों को अपनी ओर खींचता है। यहाँ जो भी आता है, वह यहीं का हो जाता है। यह शहर सपनों का कहलाता है, मुंबई शहर संघर्ष का शहर कहलाता है, और इसके अतिरिक्त सफलता का शहर भी  कहलाता है। मायानगरी का यह जादू हर किसी को अपनी ओर खींचता है और यही इसे मायानगरी बनाता है।

मुंबई को मायानगरी यूं ही नहीं कहा जाता, यहाँ की माया में जो एक बार फँस जाए, वह फिर कहीं और जाने का सोच भी नहीं सकता। यही है मुंबई की असली पहचान, उसकी माया और मोह का असली जादू।

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