रामगिरी महाराज (Ramgiri Maharaj): महाराष्ट्र में हाल ही में एक विवादास्पद बयान के चलते नासिक और संभाजीनगर जिलों में हिंसा भड़क उठी है। इस बयान के पीछे का नाम है रामगिरी महाराज (Ramgiri Maharaj), एक ऐसे धार्मिक नेता जो न केवल महाराष्ट्र के ठाणे जिले बल्कि अन्य कई स्थानों पर भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। आइए जानते हैं, कौन हैं रामगिरी महाराज (Ramgiri Maharaj) और उनका यह बयान कैसे हिंसा की जड़ बन गया।
विवाद की जड़ बना रामगिरी महाराज (Ramgiri Maharaj) की आपत्तिजनक टिप्पणी
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में रामगिरी महाराज के खिलाफ पुलिस ने पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। यह मामला तब शुरू हुआ जब नासिक जिले के सिन्नर तालुका के शाह पंचाले गांव में एक धार्मिक आयोजन के दौरान रामगिरी महाराज ने पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम के खिलाफ कुछ टिप्पणी की थी। जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में उन्हें आपत्तिजनक बातें कहते हुए दिखाया गया, जिसने पूरे राज्य में तनाव फैला दिया।
(Ramgiri Maharaj) धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है रामगिरी महाराज पर
रामगिरी महाराज पर भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना शामिल है। मुंब्रा पुलिस ने उनके खिलाफ धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप से संबंधित है। इसके साथ ही, रामगिरी महाराज के खिलाफ राज्य के नासिक और छत्रपति संभाजीनगर जिलों में भी प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।
हिंदू एकता का दावा
इस विवाद के बाद रामगिरी महाराज ने अपने बयान पर सफाई दी और कहा कि उनका मकसद सिर्फ हिंदुओं को एकजुट करना था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में यह बयान दिया था। हालांकि, उनका यह बयान उनके अनुयायियों और समाज में दोधारी तलवार की तरह साबित हुआ, जिसने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया।
कौन हैं मठाधिपति रामगिरी महाराज?Mahant Ramgiri Maharaj
रामगिरी महाराज का नाम महाराष्ट्र के धार्मिक समुदाय में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अहमदनगर और औरंगाबाद के बीच गोदावरी नदी के किनारे स्थित सराला बेट में संत गंगागिरी महाराज का मठ है, जहां से उनकी कीर्तन परंपरा शुरू हुई थी। यह मठ अपने लोकजागरण के कार्यों के लिए प्रसिद्ध है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु उपस्थित होते हैं। गंगागिरी महाराज के निधन के बाद इस मठ की कीर्तन परंपरा उनके शिष्यों ने आगे बढ़ाई, और पिछले पंद्रह वर्षों से रामगिरी महाराज इस मठ के मठाधिपति के रूप में कार्यरत हैं।
रामगिरी महाराज की धार्मिक गतिविधियां और उनके विवादित बयान अब राज्य की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर असर डाल रहे हैं। उनके खिलाफ दर्ज मामले और उनका बयान न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
इस पूरे प्रकरण ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि धार्मिक नेताओं की जिम्मेदारियों और उनके बयानों का समाज पर कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है। जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि रामगिरी महाराज और उनके अनुयायी इस स्थिति का सामना कैसे करते हैं और क्या उनका उद्देश्य वास्तव में हिंदू एकता के लिए था, या फिर यह सिर्फ एक विवादास्पद बयान भर था।