Pune News: सरकार कोई भी हो, अपनी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचाने से पहले ही उनका बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार करती है। ऐसे विज्ञापनों पर सरकार की ओर से करोड़ों का खर्च किया जाता है और कई बार ये विज्ञापन विवादों में भी आ जाते हैं। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार से जुड़ा है।
शिंदे सरकार ने हाल ही में मानसून सत्र के दौरान “अब वरिष्ठ नागरिकों को कराएंगे धार्मिक स्थलों का दर्शन” योजना शुरू की है। इस योजना का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लेकिन इस योजना के एक विज्ञापन में लगी तस्वीर ने एक परिवार को चौंका दिया है।
पुणे जिले के शिरूर तालुका के वरूडे गांव के निवासी ज्ञानेश्वर विष्णु तांबे पिछले तीन साल से लापता हैं। उनके परिवार ने उन्हें खोजने की बहुत कोशिश की लेकिन वे नहीं मिले। अब तीन साल बाद, मुख्यमंत्री की “अब वरिष्ठ नागरिकों को कराएंगे धार्मिक स्थलों का दर्शन” योजना के एक विज्ञापन फलक पर ज्ञानेश्वर तांबे का फोटो देखकर उनके परिवार को आश्चर्य और धक्का दोनों लगे हैं।
ज्ञानेश्वर तांबे के पुत्र भरत तांबे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारे पिता पिछले तीन साल से लापता हैं। हमने उन्हें हर जगह खोजने की कोशिश की लेकिन वे नहीं मिले। अब उनका फोटो मुख्यमंत्री की एक विज्ञापन फलक पर देखकर हमें गहरा धक्का लगा है। मुख्यमंत्री जिस प्रकार से वरिष्ठ नागरिकों को धार्मिक स्थलों का दर्शन कराने की योजना बना रहे हैं, उसी प्रकार हमें हमारे पिता का दर्शन करा दें।”
भरत तांबे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से आग्रह किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और उनके पिता की तलाश में मदद करें। इस घटना ने सरकार की विज्ञापन नीति और उसके प्रभाव पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार की इस लापरवाही ने एक परिवार को और अधिक दुख और चिंता में डाल दिया है।
इस प्रकार की घटनाएं न केवल सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं, बल्कि उन परिवारों की भावनाओं को भी आहत करती हैं जो अपने प्रियजनों की तलाश में हैं। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या वाकई ज्ञानेश्वर तांबे का पता लग पाते है या नहीं।