https://todaymaharashtra.in/religion/guru-purnima-brihaspati-dev-chalisa-ka-path-in-hindi/Guru Purnima: देवताओं के गुरु बृहस्पति देव को करना है प्रसन्न, तो इस गुरु पूर्णिमा पर करें बृहस्पति चालीसा का पाठ (brihaspati dev chalisa)

brihaspati dev chalisa, Guru Purnima: हिंदू धर्म में जितने भी महत्वपूर्ण दीन है , उनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण दिन है गुरु पूर्णिमा का। यह गुरु और शिष्य के लिए एक समर्पित शुभ दिन है। इस दिन प्रत्येक शिष्य अपने गुरु की बहुत ही आदर भाव से पूजा करते हैं और उनका प्रदर्शन पाते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, इस दिन पर शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनके लिए उपवास रखते हैं। गुरु पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और इस साल यह 21 जुलाई, 2024 को रविवार के दिन मनाई जा रही है। यदी आप गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर देवताओं के गुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो, आपको उनकी पूजा के साथ साथ बृहस्पति चालीसा का पाठ भी जरुर करना चाहिए। ऐसा करने से आपको गुरु पूर्णिमा शुभ दिन पर उनकी कृपा जरुर प्राप्त हो सकती हैं।

हिंदू धर्म के मुताबिक़, गुरु पूर्णिमा, जो अध्यात्मिकता और ज्ञान के प्रति सम्मान का प्रतीक है, हमारे जीवन में गुरुओं के महत्व को रेखांकित करता है। इस पावन अवसर पर बृहस्पति चालीसा का पाठ करने से व्यक्ती को सुख-समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती हैं और इस पाठ से जीवन में शुभता और समृद्धि का संचार होता है।

गुरु बृहस्पति चालीसा

 

।।श्री बृहस्पति देव चालीसा।।

 

“दोहा”

 

प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान।

श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन॥

 

अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान।

दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान॥

 

“चौपाई”

 

जय नारायण जय निखिलेशवर। विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर॥

यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता।भारत भू के प्रेम प्रेनता॥

 

जब जब हुई धरम की हानि। सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी॥

सच्चिदानंद गुरु के प्यारे। सिद्धाश्रम से आप पधारे॥

 

उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा। ओय करन धरम की रक्षा॥

अबकी बार आपकी बारी। त्राहि त्राहि है धरा पुकारी॥

 

मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा। मुल्तानचंद पिता कर नामा॥

शेषशायी सपने में आये। माता को दर्शन दिखलाए॥

 

रुपादेवि मातु अति धार्मिक। जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख॥

जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की। पूजा करते आराधक की॥

 

जन्म वृतन्त सुनायए नवीना। मंत्र नारायण नाम करि दीना॥

नाम नारायण भव भय हारी। सिद्ध योगी मानव तन धारी॥

 

ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित। आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित॥

एक बार संग सखा भवन में। करि स्नान लगे चिन्तन में॥

 

चिन्तन करत समाधि लागी। सुध-बुध हीन भये अनुरागी॥

पूर्ण करि संसार की रीती। शंकर जैसे बने गृहस्थी॥

 

अदभुत संगम प्रभु माया का। अवलोकन है विधि छाया का॥

युग-युग से भव बंधन रीती। जंहा नारायण वाही भगवती॥

 

सांसारिक मन हुए अति ग्लानी। तब हिमगिरी गमन की ठानी॥

अठारह वर्ष हिमालय घूमे। सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें॥

 

त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन। करम भूमि आए नारायण॥

धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी। जय गुरुदेव साधना पूंजी॥

 

सर्व धर्महित शिविर पुरोधा। कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा॥

ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा। भारत का भौतिक उजियारा॥

 

एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता। सीधी साधक विश्व विजेता॥

प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता। भूत-भविष्य के आप विधाता॥

 

आयुर्वेद ज्योतिष के सागर। षोडश कला युक्त परमेश्वर॥

रतन पारखी विघन हरंता। सन्यासी अनन्यतम संता॥

 

अदभुत चमत्कार दिखलाया। पारद का शिवलिंग बनाया॥

वेद पुराण शास्त्र सब गाते। पारेश्वर दुर्लभ कहलाते॥

 

पूजा कर नित ध्यान लगावे। वो नर सिद्धाश्रम में जावे॥

चारो वेद कंठ में धारे। पूजनीय जन-जन के प्यारे॥

 

चिन्तन करत मंत्र जब गाएं। विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाएं॥

मंत्र नमो नारायण सांचा। ध्यानत भागत भूत-पिशाचा॥

 

प्रातः कल करहि निखिलायन। मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन॥

निर्मल मन से जो भी ध्यावे। रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे॥

 

पथ करही नित जो चालीसा। शांति प्रदान करहि योगिसा॥

अष्टोत्तर शत पाठ करत जो। सर्व सिद्धिया पावत जन सो॥

 

श्री गुरु चरण की धारा। सिद्धाश्रम साधक परिवारा॥

जय-जय-जय आनंद के स्वामी। बारम्बार नमामी नमामी॥

।।श्री बृहस्पति देव चालीसा।।

समाप्त

Guru Purnima: गुरू पुर्णिमा पर जाने शुभ मुहूर्त, स्नान मुहुर्त, पुजा मुहूर्त और दान पुण्य मुहूर्त क्या है

अस्वीकरण: इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।

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