kya-periods-me-sawan-somvar-vrat-karna-chahiyeजानें क्या पीरियड्स में सावन का व्रत कर सकते हैं?

क्या पीरियड्स में सावन का व्रत कर सकते हैं: सावन का महीना हिंदू धर्म में सबसे ख़ास महीना जाता हैं। यह महीना शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। भगवान शिव की भक्ति का यह सावन माह भक्ति और पूजा का माह है। ऐसे में इस महीने में सोमवार का व्रत रखना खास तौर पर शुभ माना जाता है। जिसमें महिलाएं और पुरुष भगवान शिव की आराधना पूरी धार्मिक श्रद्धा के साथ करते हैं। ऐसे में एक सवाल अक्सर महिलाओं के मन में उठता है कि, क्या पीरियड्स में सावन का व्रत कर सकते हैं? क्या पीरियड्स में सावन का व्रत रखना उचित है? यदी किसी महिला को इस श्रावण सोमवार व्रत के दौरान पीरियड्स आ जाएं तो क्या करें, आपको बता दें कि, यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब ढूंढना कई महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण होता है।

आज के इस लेख में हम इसी विषय को लेकर बताएंगे कि, क्या पीरियड में सावन का व्रत रख सकते हैं या नहीं? आइए जानते हैं।

क्या पीरियड्स में सावन का व्रत कर सकते हैं इसको लेकर धार्मिक मान्यताएं और विरोधाभास:

यह बात तो सब जानते हैं कि, हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए मासिक धर्म या पीरियड्स को अशुद्ध माना जाता है और इस दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ करने, मंदिर जाने या किसी भी धार्मिक कार्य में शामिल होने से मना किया जाता है। इस हिसाब से व्रत रखना भी एक धार्मिक कार्य है। ऐसे में क्या पीरियड्स में सावन का व्रत कर सकते हैं, इस पर देखा जाए तो हमें अलग-अलग मत देखने को मिलते हैं।

पारंपरिक दृष्टिकोण और धार्मिक मान्यताएं

पारंपरिक हिन्दू समाज में, महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक गतिविधियों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण बताएं जाते हैं:

  1. शुद्धता: कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिला को अशुद्ध माना जाता है और इसलिए उसे पूजा पाठ और सभी धार्मिक कार्यों से दूर रखा जाता है। ऐसे में व्रत रखना भी एक धार्मिक कार्य है। इसलिए यदी धार्मिक कार्य और पूजा पाठ में शुद्धता को ध्यान में रखकर कहा जा सकता हैं कि, पीरियड्स में सावन का व्रत रखना हो या फिर कोई अन्य व्रत रखना हो यह इस मान्यता के हिसाब से सही नहीं है। लेकीन यदि कोई व्रत रखना चाहता है तो, इसका उपाय भी धार्मिक गुरुओं द्वारा बताया गया है जिसके बारे में आगे चर्चा करेंगे।
  2. शारीरिक आराम: पीरियड्स के दौरान महिलाओं को आराम की आवश्यकता होती है। इस समय के दौरान व्रत रखने से भूख और कमजोरी की संभावना बढ़ सकती है। इस वजह से भी व्रत ना करने को कहा जाता है।

तो क्या पीरियड में सावन का व्रत रख सकते हैं या नहीं?

जब व्रत रखना एक धर्मिक कार्य है तो, क्या महिला पीरियड में सावन का व्रत रख नही सकती है क्या? इसके बारे में हम कह सकते है कि, उपर बताए गए नियम के अनुसार पीरियड में सावन का व्रत नही रख सकती हैं। लेकीन कुछ नियमो का पालन करके यह सावन का व्रत रखना संभव है।

पीरियड में सावन का व्रत कैसे रख सकते हैं

जैसा कि अपने जाना कि, पीरियड के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ करने या मंदिर में जाने की या कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है।

  • ऐसे में यदि व्रत के दौरान महिला के पीरियड्स आ जाएं तो ऐसे में महिला को अपना व्रत पूरा कर लेना चाहिए।
  • यदि आपने कोई संकल्प लेकर व्रत रखा है तो आपने संकल्प को बीना तोड़े सिर्फ आप दूर बैठकर उस धार्मिक कार्य को किसी अन्य व्यक्ति के जरिए उससे करा सकती है।
  • मासिक धर्म के दौरान अगर जाप करना है तो आप दूर बैठ कर मन ही मन अपना जाप करें वह भी स्नान अदि करने के बाद।
  • इसके बाद आपका मासिक धर्म समाप्त होने के बाद आपको शुद्धता पूर्वक स्नान करना चाहिए और मासिक धर्म के ५ वे दिन पूजा करनी चाहिए।
  •  मासिक धर्म में पूजा के समान को बिलकुल भी नही छूना चाहिए।

शास्त्रों में उल्लेखित निर्देश

शास्त्रों में वर्णित निर्देशों के अनुसार, यदि किसी महिला को व्रत के दौरान पीरियड्स आ जाते हैं, तो उसे व्रत भंग करने की आवश्यकता नहीं होती। मासिक धर्म के दौरान पूजा-पाठ करने से बचते हुए, वह अन्य नियमों का पालन कर सकती है। इस प्रकार, वह व्रत का पूर्ण फल प्राप्त कर सकती है। यह प्रकृति का चक्र है और इसमें कुछ भी अशुद्ध या गलत नहीं है।

आधुनिक दृष्टिकोण के आधार पीरियड में सावन का व्रत रख सकते हैं

आपको बता दें कि, वर्तमान समय में समाज का दृष्टिकोण काफ़ी बदल रहा है और पीरियड्स को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ और धार्मिक गुरुओं का मानना है कि महिलाएं अपनी श्रद्धा और स्वास्थ्य के आधार पर निर्णय ले सकती हैं। यदि महिला का स्वास्थ्य ठीक है और वह व्रत रखने में सक्षम है, तो वह सावन का व्रत रख सकती है।

निष्कर्ष

पीरियड्स के दौरान सावन का व्रत रखना या न रखना व्यक्तिगत और पारिवारिक परंपराओं पर निर्भर करता है। धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों ही पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, कोई भी महिला अपने विवेक और सुविधा के अनुसार निर्णय ले सकती हैं। धार्मिक आस्था और श्रद्धा का संबंध व्यक्ति के मन और विचारों से होता है, और शरीर महज एक माध्यम है। इसलिए, पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ महिलाएं अपने परंपराओं और नियमों का पालन कर पीरियड्स में श्रावण का व्रत रख सकती हैं।

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