सभी शिव भक्त श्रावण महिने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्युकी श्रावण महीना भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण माह माना जाता है, विशेषकर भगवान शिव की पूजा के लिए। सावन माह उत्तर भारत में पहले तो दक्षिण भारत में 15 दिन बाद शुरु होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उत्तर भारत में श्रावण महीना दक्षिण भारत की तुलना में 15 दिन पहले क्यों शुरू होता है? आज के इस लेख में हम इसी के बारे में चर्चा करेंगे और जानेंगे।
उत्तर भारत में श्रावण महीना दक्षिण भारत की तुलना में 15 दिन पहले क्यों शुरू होता है?
खगोलीय कारण: अमांत और पूर्णिमांत
शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि, भारत में दो प्रकार की पंचांग गणनाएँ प्रचलित हैं एक अमांत और दूसरी पूर्णिमांत।
- अमांत पंचांग: अमांत पंचांग में महीने का अंत अमावस्या (नया चाँद) के दिन होता है और अमांत गणना का अनुसरण हमारे दक्षिण भारत में किया जाता है। यहाँ अमांत पंचांग के अनुसार नया महीना अमावस्या के अगले दिन से शुरू होता है।
- पूर्णिमांत पंचांग: पूर्णिमांत पंचांग में महीने का अंत पूर्णिमा (पूरा चाँद) के दिन होता है और उत्तर भारत में इस गणना का पालन किया जाता है। पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार उत्तर भारत में नया महीना पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है।
इसी अमांत पंचांग और पूर्णिमांत पंचांग के कारण उत्तर भारत में श्रावण महीना पूर्णिमा के अगले दिन से प्रारंभ होता है, जबकि दक्षिण भारत में अमावस्या के अगले दिन से। इसी गणना के अंतर के कारण दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत में श्रावण महीना 15 दिन पहले शुरू होता है।
सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव
अमांत पंचांग और पूर्णिमांत पंचांग के अतिरिक्त उत्तर भारत और दक्षिण भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में भी भिन्नता है:
- उत्तर भारत: उत्तर भारत में सावन माह में विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान, भक्तजन भगवान शिव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं तथा कांवड़ यात्रा करते हैं।
- दक्षिण भारत: दक्षिण भारत में श्रावण मास का महत्व मुख्यतः भगवान शिव, कृषि और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा है। यहाँ अमांत गणना के अनुसार त्योहार और अनुष्ठान मनाए जाते हैं।
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मौसम विज्ञान
दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत में श्रावण महीना 15 दिन पहले शुरू होने के पिछे एक और कारण मौसम भी है। इस अंतर को मौसम विज्ञान के अनुसार भी समझा जा सकता है। आपको बता दें कि, मानसून की बारिश उत्तर भारत में पहले पहुँचती है, जिससे यहाँ के धार्मिक अनुष्ठान और त्योहार जल्दी शुरू हो जाते हैं। वही दक्षिण भारत में मानसून की बारिश बाद में पहुँचती है, जिससे यहाँ के धार्मिक अनुष्ठान और त्योहार उत्तर भारत की तुलना में थोड़े बाद में शुरू हो जाते हैं।
अर्थात,
उत्तर भारत में और दक्षिण भारत में श्रावण महीने की प्रारंभिकता खगोलीय गणना, सांस्कृतिक परंपराओं और मौसम विज्ञान के कारण है। यह अंतर हमें भारतीय समाज की विविधता और उसकी समृद्ध परंपराओं का गहरा एहसास कराता है। भारतीय संस्कृति की ये विशेषताएँ हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को अनोखा और समृद्ध बनाती हैं।