बांग्‍लादेश के उपद्रवियों ने अपने राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीब की मूर्ति को भी नहीं छोड़ा... उनकी मूर्ति पर भी चला दीया हथौड़ा, देखें वीडियोबांग्‍लादेश के उपद्रवियों ने अपने राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीब की मूर्ति को भी नहीं छोड़ा... उनकी मूर्ति पर भी चला दीया हथौड़ा, देखें वीडियो

राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीब की मूर्ति पर हमला, ढाका: लोकल मिडिया के मुताबिक़, बांग्लादेश में आज का सोमवार का दिन भारी उथलपुथल भरा रहा। प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद और उनके देश छोड़ने के बाद, ढाका की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन ने भयानक विकराल रूप ले लिया। इसी दौरान, सोशल मीडिया पर एक विडियो तेजी से वायरल हो रहा है। विडियो में साफ देखा जा सकता हैं कि, प्रदर्शनकारियों ने अपने ही देश बांग्लादेश के राष्ट्रपिता और संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी उपद्रवियों ने नहीं बख्शा।

प्रदर्शनकारियों का हंगामा

विडियो में साफ देखा जा सकता हैं कि, प्रदर्शनकारियों ने ढाका के पीएम हाउस में घुसकर वहां तोड़फोड़ करने के बाद प्रदर्शनकारियों ने अपने ही राष्ट्रपिता ही राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर हमला कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में, उपद्रवी मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़े से उसे तोड़ते नजर आ रहे हैं। शेख मुजीब वह इंसान है, जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी और बांग्लादेश को पकिस्तान से आजादी दे कर अलग राष्ट्र की नीव रखी थी। अब उनके ही मूर्ति पर हमला करना देश की जनता और विश्व समुदाय को स्तब्ध कर रहा है।

राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीब की मूर्ति पर हमला, देखें वीडियो

बांग्लादेश के जनक है शेख मुजीब

आपको बता दें कि, शेख मुजीब या बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी। इसके अलावा शेख मुजीब, जो शेख हसीना के पिता भी हैं, बांग्लादेश बनने के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने और 1971 से लेकर अगस्त 1975 तक प्रधानमंत्री भी रहे।

शेख मुजीब की हत्या

15 अगस्त 1975 को एक सैन्य तख्तापलट के दौरान शेख मुजीब की हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद, शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना जर्मनी से दिल्ली आईं  और कई वर्षों तक भारत में ही रहीं। बाद मे 1981 में वह बांग्लादेश लौटी। शेख हसीना ने अपने पिता की राजनैतिक विरासत को संभाला और प्रधानमंत्री बनीं।

शेख हसीना के इस्तीफे के बाद और उनके अपने ही देश से पलायन करने के बाद, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर पहुंच गई है। सेना प्रमुख जनरल वेकर-उज-जमान ने विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ आपात बैठक की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना प्रमुख जल्द ही राष्ट्र के नाम संबोधन कर सकते हैं और देश में एक अंतरिम सैन्य सरकार बनाने का ऐलान भी कर सकते हैं।

स्थानिक मिडिया के मुताबिक़, बांग्लादेश में जारी हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, और स्थिति गंभीर बनी हुई है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पूरी तरह से सत्ता से बाहर हो और नई सरकार का गठन हो।

उपद्रवियों के निशाने पर इतिहास

शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर हुए हमले ने देश में गहरे जख्म छोड़ दिए हैं। यह घटना न केवल बांग्लादेश के इतिहास पर हमला है, बल्कि उस संघर्ष और बलिदान का अपमान भी है जो देश की आजादी के लिए किया गया था। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद की इस घटना ने देश में एक नई बहस को जन्म दिया है और आगे की दिशा तय करने के लिए सभी राजनीतिक और सामाजिक संगठनों को एकजुट होना होगा।

बांग्लादेश के लिए यह समय संकट का है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि देश इस अस्थिरता से कैसे उभरता है और आगे का मार्ग कैसे तय करता है।

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