मंदिर में चोरी: जब तक हम सोचते हैं कि ठगी के मामले में लोग सिर्फ बैंकों या व्यवसायों को निशाना बनाते हैं तो आप बहुत छोटा सोच रहे हैं। क्योंकि चोरों ने अब ठगी का नया तरीका ढूंढ निकाला है। जिसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे। हाल ही में चीन से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसने धर्म और आस्था को भी ठगी का शिकार बना दिया। चीन के एक बौद्ध मंदिर में, एक उच्च शिक्षित लॉ ग्रेजुएट ने भगवान के घर को निशाना बनाते हुए दानपेटी पर अपने निजी QR कोड का उपयोग करके लाखों की ठगी कर डाली।
मंदिर में चोरी करके कानून के जानकार ने ही कानून तोड़ा
आरोपी ने जिस चतुराई से मंदिरों में QR कोड को बदलकर अपनी ठगी को अंजाम दिया, वह कानून के छात्रों के लिए एक सबक है कि, ज्ञान का गलत उपयोग कैसे कानून की अवमानना में बदल सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी ने मंदिर में भक्तों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले QR कोड को अपने निजी QR कोड से बदल दिया। जब भी कोई भक्त श्रद्धा से दान करता, वह रकम मंदिर के ट्रस्ट में जमा होने के बजाय सीधे आरोपी के बैंक खाते में चली जाती।
जानकारी तो ऐसी भी निकल कर आ रही है कि, इस लॉ ग्रेजुएट चोर ने बीजिंग के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से कानून में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है, फिर भी उसने इस जघन्य अपराध को अंजाम देने से परहेज़ नहीं किया।
लाखों की ठगी का पर्दाफाश
शानक्सी पुलिस द्वारा जारी वीडियो फुटेज ने इस जालसाजी को उजागर किया। वीडियो में दिखाया गया है कि, जब भक्त मूर्ति के सामने झुकते हैं, तो आरोपी बड़ी सफाई से दान पेटी के QR कोड को अपने QR कोड से बदल देता था। भक्तों को इस बात की भनक तक नहीं लगती कि उनकी श्रद्धा से दी गई रकम भगवान के घर नहीं, बल्कि एक ठग के खाते में जा रही है।
अपराध का दायरा बढ़ा
शानक्सी प्रांत के अलावा, आरोपी ने अन्य प्रांतों के बौद्ध संस्थानों को भी अपनी ठगी का शिकार बनाया। उसने उत्तर पश्चिम शांक्सी और दक्षिण पश्चिम सिचुआन और चोंगकिंग प्रांतों के मंदिरों में भी यही ट्रिक अपनाई, जिससे उसने कुल मिलाकर 4,200 अमेरिकी डॉलर, यानी लगभग 3.5 लाख रुपए चुरा लिए।
आस्था का सवाल
इस मामले ने चीन में गहरी चिंता और बहस को जन्म दिया है। पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने चोरी की गई सारी रकम वापस कर दी, लेकिन इस घटना ने समाज में धर्म और आस्था के प्रति लोगों की संवेदनशीलता को एक बार फिर सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। अब लोग सोचने पर मजबूर हैं कि क्या आस्था के स्थान भी ठगी और धोखाधड़ी से सुरक्षित नहीं हैं?
जब लोग ठगी के लिए भगवान के घरों को भी नहीं बख्शते, तो यह सोचने का वक्त है कि इंसानियत कहां जा रही है। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि ठगी के रास्ते पर चलने वाले लोग कानून और धर्म, दोनों का अपमान करने से भी पीछे नहीं हटते।